" जब वह आपके भीतर ही आत्मारूपी मंदिर में विद्यमान रहता हो तब उसे जंगल , पहाड़ और प्रतिमाओं में क्यों तलाशना ?
" When he lives in the temple named soul inside you , then why to search him in Forests , Mountains and Statues ."
ऊक्त कथन का उद्देश्य तपस्वियों, साधकों और मूर्तिपूजकों का विरोध नहीं किन्तु अपने अंतर्मन को पवित्र रखने के लिए परमपिता के साथ ऐसा तादात्म्य स्थापित करना है जिससे सदैव उसकी निकटता का अनुभव हो। जिन्हें ये दिव्य अनुभव हासिल हो जाता है , ईश्वर उन्हें ही पीड़ित मानवता की सेवा और परोपकार का दायित्व सौंपता है।
मप्र के जबलपुर नगर में संचालित विराट हॉस्पिस ने ईश्वर के साथ सीधे जुड़ने के उक्त भाव को ही हृदयंगम किया।
कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी की अंतिम अवस्था में आने के बाद हताश मरीजों की ज़िन्दगी में खुशी का कुछ समय समाहित करना इसका मकसद है ।
हर पल मौत की पदचाप से भयग्रस्त इन मरीजों के टूटे हुए मनोबल को उठाए रखना बहुत कठिन है किन्तु विराट हॉस्पिस ने अपनी अनुभूतियों में मौज़ूद ईश्वर की कृपा से इस कठिन कार्य में भी सफलता हासिल कर ली।
इस संस्थान का प्रारम्भ ब्रह्मलीन ब्रह्मर्षि विश्वात्मा बावरा जी महाराज की दिव्य प्रेरणा से उनकी शिष्या साध्वी ज्ञानेश्वरी देवी द्वारा छह वर्ष पूर्व अप्रैल 2013 में किया गया।
विराट हॉस्पिस में कैंसर मरीजों को हर मुमकिन चिकित्सा , डाक्टरी सलाह, औषधियां और चौबीसों घण्टे नर्सिंग सेवा के अलावा एक सहयोगी सहित भोजन एवं आवास का समूचा प्रबंध पूर्णतः निःशुल्क किया जाता है।
चूंकि समाज की दानशीलता ही इसका आधार है , अतः विराट हॉस्पिस शासकीय सहायता नहीं लेता।
बीते छह साल में 1000 से अधिक मरीज इसकी सेवाएं प्राप्त कर चुके है।
जबलपुर के समीप ही गोपालपुर ग्राम(भेड़ाघाट) में जनसहयोग से विराट हॉस्पिस का अत्याधुनिक भवन निर्मित किया गया है। जिसकी 28 बिस्तरों की वर्तमान क्षमता को बढ़ाकर 48 किया जा रहा है । इसके अलावा रेडियेशन सुविधा का का प्रबन्ध भी किया जावेगा ।
इस महायज्ञ में उन सभी लोगों का सक्रिय सहयोग अपेक्षित है जो पीड़ित मानवता की सेवा को ही पूजन समझते हैं।
विराट हॉस्पिस में आपके संवेदनशील योगदान का सदैव स्वागत रहेगा।
महाशिवरात्रि के पवित्र अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई ।
देवाधिदेव महादेव आप सभी के हृदय में भक्ति और वैराग्य का भाव उत्पन्न करें यही प्रार्थना है
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