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महिला दिवस

Writer's picture: Ravindra BajpaiRavindra Bajpai

" भारत जैसे देश में महिला दिवस सदृश आयोजन अटपटे लगते हैं । ये सिंधु को बिंदु में समेटने समान ही है , क्योंकि भारतीय समाज और संकृति में नारी को शक्ति , भक्ति , विद्या , कला , सम्पन्नता की अधिष्ठात्री मानकर पूजा जाता है ।



लेकिन इन सबसे हटकर नारी का सबसे सकारात्मक पक्ष उसके भीतर निहित सम्वेदनशीलता और सेवा का नैसर्गिक भाव है ।


इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है ब्रह्मर्षि मिशन के माध्यम से मानव सेवा के महान कार्य में जुटीं साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी जिन्होंने आध्यात्मिक साधना के मार्ग पर चलते हुए स्वामी विवेकानन्द के उस कथन को अपने जीवन का ध्येय बना लिया कि मैं ईश्वर के उस रूप की पूजा करता हूँ जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं ।


पीड़ित मानवता की निःस्वार्थ सेवा के कठिनतम रास्ते को चुनते हुए उन्होंने कैंसर की अंतिम अवस्था के उन बेसहारा मरीजों की अंतिम सांस तक सेवा - सुश्रुषा करने का संकल्प लिया जिनके पास मृत्यु की प्रतीक्षा करने के और कोई रास्ता नहीं बच रहता ।


अपने सान्निध्य में रह रही एक आदिवासी युवती के कैंसर ग्रस्त होने के बाद उसका दर्द दीदी ने निकट से देखा । उसके निधन उपरांत दीदी ने ऐसे मरीजों की देखभाल के लिए एक संस्थान प्रारम्भ करने का संकल्प लिया और मप्र के जबलपुर नगर में 14 अप्रैल 2013 को महज 8 बिस्तरों के साथ किराए के घर में उन्होंने विराट हॉस्पिस की स्थापना की ।


भारत में यह एक नया प्रयोग था किन्तु शीघ्र ही विराट हॉस्पिस देश - विदेश में चर्चित हो गया ।


इस अनोखे अनुष्ठान में डॉ अखिलेश गुमाश्ता उनके दाहिने हाथ बने ।


विराट हॉस्पिस ने छह वर्ष के सफर में अपने सर्वसुविधायुक्त परिसर का निर्माण भी कर लिया।


भेड़ाघाट क्षेत्र में तीन एकड़ भूमि पर स्थित इस परिसर में 28 बिस्तरों का इन्तजाम है । मरीजों को 24 घण्टे नर्सिंग सेवा , जरूरी दवाएं ,इलाज , डॉक्टरी सलाह के अतिरिक्त एक सहयोगी के साथ आवास और भोजन की निःशुल्क व्यवस्था है ।


विराट हॉस्पिस समाज की दानशीलता से संचालित है । ये किसी भी तरह की शासकीय मदद नहीं लेता ।


बीते 6 वर्ष में 1000 कैंसर मरीज विराट हॉस्पिस की सेवाएं ले चुके हैं।


दीदी के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन ब्रह्मर्षि विश्वात्मा बावरा जी महाराज इसके प्रेरणास्रोत थे ।


इस प्रकल्प को सफलता के शिखर तक लाने में दीदी ने अपनी नेतृत्व क्षमता , समर्पण और संघर्षशीलता का जो उदाहरण प्रस्तुत किया वह महिलाओं के दैवीय गुणों का मानवीय रूप है ।


दीदी के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप विराट हॉस्पिस की क्षमता 48 बिस्तरों तक बढ़ाने के साथ ही रेडियेशन की व्यवस्था भी की जा रही है ।


महिला दिवस पर जब सर्वत्र महिलाओं की शक्ति और उपलब्धियों का प्रशस्तिगान हो रहा है तब दीदी इस सबसे दूर अपनी सतत साधना में रत हैं।


मानव सेवा के इस सर्वोत्कृष्ट कार्य में अनेकानेक भाई - बहिन अपना योगदान दे रहे हैं।


आपसे भी सविनय निवेदन है मानव सेवा के इस मार्ग पर चलते हुए ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करें।


आपके जीवन में भी सेवा भाव जाग्रत हो यही प्रभु से प्रार्थना है ।


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