" हालाँकि मानसिक शांति दुनिया की सबसे कीमती चीज है लेकिन मानव सेवा से वह निःशुल्क प्राप्त की जा सकती है।"
" Though Mental peace is the most valuable thing in the world but it could be achieved free of cost from service to the humanity."
दुनिया का चलन है कि हानि के भय से अधिकतर लोग अपनी कोशिशें बन्द कर देते हैं अथवा उनकी गति मंद पड़ जाती है । नतीजे के तौर पर वह मन की शांति गंवा बैठता है ।
इसके ठीक विपरीत नफे और नुकसान की चिंता त्यागकर व्यक्ति केवल ध्येयपथ पर ध्यानपूर्वक बढ़ता रहे तो फिर उसके जीवन में आनन्द का स्थायी वास हो जाता है ।
जबलपुर (मप्र) में कार्यरत विराट हॉस्पिस नामक संस्थान ने भी लाभ और हानि जैसे शब्दों को भुलाकर कैंसर जैसी असाध्य बीमारी की अंतिम अवस्था में आने के बाद निराश हो चुके मरीजों की ज़िन्दगी में हर्षोल्लास उत्पन्न करने का जिम्मा उठाया।
ब्रह्मलीन ब्रह्मर्षि विश्वात्मा बावरा जी महाराज की दिव्य प्रेरणा से उनकी शिष्या साध्वी ज्ञानेश्वरी देवी द्वारा वर्ष 2013 में इसकी स्थापना की गयी।
यहां ऐसे मरीजों को पर्याप्त चिकित्सा,दवाइयां और 24 घंटे नर्सिंग सुविधा के अलावा एक सहयोगी सहित भोजन एवं आवास का समूचा प्रबंध सामाजिक सहयोग से पूरी तरह निःशुल्क किया जाता है।
बीते छह वर्ष में 1000 से ज्यादा कैंसर मरीज विराट हॉस्पिस की सेवाएं ले चुके हैं।
इस संस्थान ने कभी किसी भी तरह की शासकीय सहायता नहीं ली किन्तु मानव सेवा के इस कार्य को सहयोग करने वाले निरंतर बढ़ते चले गए।
इस संस्थान को आधुनिक रूप देते हुए भेड़ाघाट के समीप गोपालपुर में जनसहयोग से खरीदी गयी 3 एकड़ भूमि पर एक सर्वसुविधायुक्त भवन का निर्माण किया गया है। इस भवन में 28 बिस्तरों की वर्तमान क्षमता को बढ़ाकर 48 किया जा रहा है । इसके अलावा रेडियेशन की सुविधा भी उपलब्ध होगी ।
प्राकृतिक सौंदर्य एवं शुद्ध पर्यावरण से भरा यह क्षेत्र मरीजों के लिए बेहद अनुकूल है ।
इस दैवीय कार्य में हमें उन सभी महानुभावों के सक्रिय सहयोग की जरूरत है जिनके मन में केवल काम का जुनून है और उससे होने वाले संभावित लाभ-हानि के प्रति वे पूर्णरूपेण निर्विकार है।
विराट हॉस्पिस में आपके साहचर्य का सदैव स्वागत रहेगा।
आज का दिन सुख-शांति से व्यतीत हो यही मंगलकामना है।
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