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Writer's pictureRavindra Bajpai

कठिन कार्य भी सरलता से हो जाते हैं यदि उसके पीछे की भावना पवित्र हो

" Difficult works also become easier if intention behind that is holy."



अभिप्राय ये है कि परोपकार करते समय आने वाली कठिनाइयों की चिंता नहीं करनी चाहिए । मन में कोई निहित स्वार्थ न हो तो ईश्वर अदृश्य रहकर भी सेवा करने वाले की मदद करते हैं। यही वजह है कि भावना की पवित्रता सर्वोच्च आवश्यकता होती है।


इस भाव को कार्य रूप में बदलते हुए मप्र के जबलपुर नगर में कैंसर की आखिरी स्थिति में पहुंच चुके मरीजों की जीवनपर्यन्त देखभाल करने का एक अनूठा प्रयास किया गया।


वर्ष 2013 में अपने पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन ब्रह्मर्षि विश्वात्मा बावरा जी महाराज की प्रेरणा से साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी ने जिस विराट हॉस्पिस नामक संस्थान की स्थापना की वह इसका जीवंत प्रतीक है।


प्रारम्भ में न स्थान था न ही पर्याप्त संसाधन किंतु दीदी के मन में निःस्वार्थ सेवा का जो पवित्र संकल्प था उसने उन्हें साहस दिया और भगवान की कृपा भी उन्हें प्राप्त हुई जिससे धीरे - धीरे विराट हास्पिस कैन्सर रोगियों की सेवा का प्रतीक बन गया।


इस संस्थान में मरीजों को समुचित इलाज, दवाइयाँ, डाक्टरी सलाह तथा 24 घंटे नर्सिंग सेवा प्रदान की जाती है। एक परिजन के साथ उनके भोजन एवं आवास की पूरी व्यवस्था भी पूरी तरह निःशुल्क की जाती है।


यह संस्थान कोई सरकारी मदद नहीं लेता।


भेड़ाघाट के समीप गोपालपुर ग्राम में जनसहयोग से 3 एकड़ भूमि पर इसके अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त भवन में 28 बिस्तरों की व्यवस्था है । शीघ्र ही इसे 48 बिस्तरों तक बढ़ाया जाएगा । साथ ही रेडिएशन सुविधा भी उपलब्ध होगी।


मरीजों को अंतिम समय में कम से कम कष्ट हो और वे उमंग और उत्साह की अनुभूति कर सकें इसका प्रयास विराट हास्पिस द्वारा किया जाता है।


नर्मदा तट के निकट होने के कारण इस परिसर का वातावरण अत्यंत मनोहारी और पर्यावरण अत्यन्त शुद्ध है।


गत छह वर्ष में लगभग 1050 कैंसर मरीज इसकी सेवाएं ले चुके हैं।


यद्यपि इसकी शुरुवात न्यूनतम संसाधनों से हुई थी लेकिन चूंकि लक्ष्य पवित्र था इस वजह से यह लोकप्रिय होता गया।


इस पुण्य कार्य में आपकी संवेदनशीलता का भी सदैव स्वागत रहेगा।

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