" Failure can become new beginning of Success."
व्यतीत हो चुके वक़्त में जो नहीं हो सका उस पर दुख करने की बजाय अच्छा होता है कि सफलता के नए रास्तों पर आगे बढ़ा जावे ।
अनुभव बताते हैं असफलता व्यक्ति में निराशा उत्पन्न कर देती है किन्तु ये भी सही है कि उसमें सफलता के लिए दोगुने उत्साह से प्रयास करने की प्रेरणा भी निहित होती है। इस सन्देश को जो समझ लेते हैं वे नई कोशिश कर लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं।
निराशा के अंधेरे में उम्मीद की किरण ढूंढ़ना ही सच में जीवन है जिससे प्रेरित होकर 6 वर्ष पूर्व जबलपुर में साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी ने एक ऐसे अनुष्ठान का शुभारम्भ किया जो पूर्णविराम के पश्चात नया वाक्य लिखने का प्रयास करता है।
दीदी के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन ब्रह्मर्षि विश्वात्मा बावरा जी महाराज इस प्रकल्प के प्रेरणास्रोत रहे ।
'विराट हॉस्पिस' नामक ये संस्थान कैंसर की अंतिम अवस्था में आ चुके उन मरीजों की सेवा और देखभाल करता है जिनकी ज़िन्दगी को चिकित्सा विज्ञान भी पूर्ण विराम मानकर हाथ खड़े कर देता है।
विराट हॉस्पिस एक स्वयंसेवी संस्था है जो बिना सरकारी सहायता के सामाजिक सहयोग से चलती है।
इसमें 28 बिस्तरों की क्षमता है जिनमें मरीजों को 24 घण्टे नर्सिंग स्टाफ की सेवा, जरूरी दवाइयाँ, डाक्टरी परामर्श के साथ ही एक परिजन सहित भोजन एवं आवास जैसी सभी सुविधाएं पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध हैं।
निराशा को उम्मीद में बदलने के इस प्रकल्प को एक अत्याधुनिक बनाते हुए गोपालपुर ग्राम ( भेड़ाघाट ) में जनसहयोग से तीन एकड़ जमीन खरीदकर भव्य परिसर का निर्माण किया गया है। इसका प्राकृतिक वातावरण अत्यंत मनोहारी है । शीघ्र ही यहां 48 बिस्तरों के साथ रेडियेशन सुविधा भी उपलब्ध होगी ।
छह वर्ष की अवधि में लगभग 1050 कैंसर रोगी विराट हॉस्पिस के पारिवारिक माहौल में रहते हुए अपनी जीवन यात्रा पूर्ण कर चुके हैं।
हम जानते हैं कि विराट हॉस्पिस में प्रविष्ट होने वाला मरीज चला चली की स्थिति में है किन्तु यही वह समय होता है जब उसे सही अर्थों में स्नेह,सहयोग और सेवा की जरूरत होती है।
मृत्यु तो उसकी सुनिश्चित है किन्तु उसके पूर्व उसके दर्द को जितना हो सके बांटना ही हमारा मकसद है जिससे अंतिम समय वह संतुष्ट होकर जा सके।
इसकी सफलता का आकलन तो ईश्वर ही कर सकता है किन्तु हर पूर्णविराम के बाद नए वाक्य का सृजन करने रूपी विराट हॉस्पिस का यह प्रयास निरन्तर जारी है।
हमारा दृढ विश्वास है कि पीड़ित मानवता की निःस्वार्थ सेवा ही सही अर्थों में प्रभु की पूजा है।
विफलता से घबराए बिना सफलता की नई मंज़िल की तलाश के इस सफर में आप भी अपनी संवेदनशीलता समाहित कर सकते हैं। आपकी सहभागिता से हमारी हिम्मत कई गुना बढ़ जाएगी।
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