" सृजन शोर नहीं मचाता।बीज से वृक्ष तक की यात्रा एकदम शांति के साथ चलती है ।"
" Creation doesn't make noise. Journey from seed to tree moves silently."
वर्ष 2013 में मप्र के जबलपुर नगर में बिना ढिंढोरा पीटे एक अनोखा बीज अंकुरित होने के उपरांत वृक्ष बनकर खड़ा हो गया , जिसका उद्देश्य कैंसर के उन मरीजों के जीवन को आशा रूपी छाँह देना है जो बीमारी की अंतिम अवस्था में पहुंच चुके होते हैं।
लाइलाज मानी जाने वाली ये बीमारी उनके मन में मौत का भय भर देती है । लेकिन विराट हॉस्पिस नामक उक्त संस्थान शांतभाव से उनके बचे हुए जीवन में खुशियों का संचार करने में जुटा हुआ है।
पूज्य गुरुदेव ब्रह्मर्षि स्वामी विश्वात्मा बावरा जी महाराज की दिव्य प्रेरणा से उनकी शिष्या साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी के प्रयासों से प्रारम्भ विराट हॉस्पिस किसी भी प्रकार की सरकारी मदद के बिना सामाजिक सहयोग से संचालित हो रहा है।
विराट हॉस्पिस इन मरीजों को घर के सदस्य के तौर पर रखकर इनकी सेवा और सहायता करता है।
हर क्षण आशंका से ग्रसित इन मरीजों की बची ज़िन्दगी में उमंग ,उत्साह और उत्सव के पल उत्पन्न करना इसका उद्देश्य है।
28 बिस्तरों की मौजूदा क्षमता सम्पन्न विराट हॉस्पिस में मरीजों को हर समय प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ , जरूरी दवाएं , डाक्टरी देखरेख के अलावा एक सहयोगी सहित रहने तथा भोजन आदि की व्यवस्था निःशुल्क प्रदान की जाती है।
भेड़ाघाट के निकट गोपालपुर ग्राम में तीन एकड़ के भूखण्ड पर निर्मित विराट हॉस्पिस परिसर का शुद्ध प्राकृतिक वातावरण मरीजों के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति दोनों के लिए उपयोगी साबित हो रहा है। शीघ्र ही यहां 48 बिस्तरों के साथ ही रेडियेशन सुविधा भी उपलब्ध होगी ।
अब तक लगभग 1050 कैंसर मरीजों के मन से मृत्यु का भय निकालकर उनकी सेवा यहां हो चुकी है।
कैंसर मरीजो की निरंतर सेवा का यह अनुष्ठान सही अर्थों में ईश्वर की आराधना है जो असीम मानसिक शान्ति और सुखद अनुभूति प्रदान करता है।
यदि आप भी शांत भाव से सृजनात्मक कार्य करने के इच्छुक हों तो विराट हॉस्पिस के इस अभियान में सहभागिता कीजिये।आपके साहचर्य से हमारा उत्साहवर्धन होगा।
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