Many people pray to God for wealth and then glorify themselves by donating the same
व्यंग्य के साथ वास्तविकता भी है उक्त कथन में।
साधारण तौर पर देखने मिलता है कि बहुत से लोग भगवान से धन - संपत्ति माँगते हैं लेकिन उसके हासिल होते ही खुद को इसका मालिक मान बैठते हैं।
बाद में जब वे उसी धन का एक हिस्सा दान करते हैं तो उनकी हसरत होती है कि दीवार पर उनका नाम इस तरह लिखा जावे जिसे पढ़कर लोग उन्हें दानदाता मानकर प्रशस्तिगान करें ।
कहने का अभिप्राय यह है कि श्रद्धा के पीछे भी आत्मप्रचार और सम्पन्नता के दिखावे का भाव निहित होता है।
दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जो चुपचाप सेवा करते हुए उसका ढोल नहीं पीटते।
इसका प्रत्यक्ष अनुभव विराट हॉस्पिस नामक प्रकल्प की शुरुवात करने के दौरान हुआ।
वर्ष 2013 में मप्र के जबलपुर नगर में ब्रह्मलीन ब्रह्मर्षि स्वामी विश्वात्मा बावरा जी महाराज की दिव्य प्रेरणा से उनकी शिष्या साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी ने इसकी शुरुवात की ।
सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. अखिलेश गुमाश्ता भी पूरे समर्पण भाव से इसमें अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।
इसका मकसद कैंसर की आख़िरी अवस्था में आ चुके मरीजों को अंतिम सांस तक हर तरह से सेवा-सुश्रुषा करते हुए संतुष्ट रखना है।
छह वर्ष में लगभग 1050 मरीज इसकी सेवाएं ले चुके हैं।
इसका संचालन बिना सरकारी मदद लिए सामाजिक सहयोग से किया जा रहा है ।
ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि पद,प्रतिष्ठा और महत्व की इच्छा से दूर रहकर समाज के समर्पित सज्जन इसे संरक्षण न देते तो यह प्रकल्प इतनी सफलता हासिल नहीं कर पाता।
यहां मरीजों को 24 घण्टे नर्सिंग स्टाफ की सुविधा दी जाती है। साथ ही जरूरी दवाइयाँ तथा डाक्टरी परामर्श भी उपलब्ध रहता है।
मरीज अपने साथ एक परिजन को भी रख सकते हैं।
उन।दोनों के लिए आवास और भोजन यहां उपलब्ध है। उक्त सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह से निःशुल्क हैं।
विराट हॉस्पिस को और विस्तार देते हुए जनसहयोग से तीन एकड भूमि पर एक अत्याधुनिक सर्वसुविधायुक्त भवन निर्माण किया गया है।
भेड़ाघाट के निकट गोपालपुर गाँव में स्थित इस परिसर में 28 मरीजों के रहने की व्यवस्था है जो निकट भविष्य में 48 तक बढ़ाई जाएगी।
यह परिसर प्राकृतिक सौंदर्य और शुद्ध पर्यावरण से युक्त होने से मरीजों के लिए उपयुक्त है। अतिशीघ्र यहां रेडियेशन की व्यवस्था भी की जावेगी ।
यदि आप भी अपने धन को ईश्वर का आशीर्वाद मानकर निष्काम भाव से उसका सदुपयोग करना चाहें तो विराट हॉस्पिस नामक अनुष्ठान में सहयोगी बनें । लेकिन आपका मानसिक लगाव हमारी प्राथमिक अपेक्षा होगी ।
उम्मीद है इस सतत यात्रा में आप भी हमारे सहयात्री बनें
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