"The valuation of any work should be based on its purpose and quality"
सुनने में भले अटपटा सा लगे लेकिन उक्त कथन है बेहद अर्थपूर्ण ।
देखा गया है किसी काम में सफलता मिलते ही व्यक्ति आत्माभिमान से भर उठता है । जबकि हकीकत ये नहीं है क्योंकि यदि उसके उद्देश्य में पवित्रता न हो और कार्य करने का तरीका अनैतिक हो तो उसकी सफलता प्रशंसा योग्य नहीं हो सकती।
उदाहरण के लिए एक राक्षस की तपस्या से मिले वरदान को ऋषियों के समकक्ष नहीं रखा जा सकता क्योंकि वही कर्म अनुकरणीय होते हैं जिनके पीछे अपना न् होकर दूसरों का हित निहित हो और उसे सम्पादित करने के तरीके भी सात्विक हों ।
इसका प्रत्यक्ष अनुभव करना हो तो मप्र के जबलपुर नगर में कार्यरत विराट हॉस्पिस का अवलोकन किया जा सकता है जहां कैंसर की अंतिम अवस्था के उन मरीजों की बिखरी हुई उम्मीदों को जोड़ने का प्रयास होता है जिनके जीवित रहने की उम्मीदें चिकित्सक तक छोड़ देते हैं।
इसकी स्थापना ब्रह्मलीन ब्रह्मर्षि विश्वात्मा बावरा जी महाराज से प्रेरणा प्राप्त उनकी सुयोग्य शिष्या साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी ने की जिन्होंने अपना जीवन कैंसर के मरीजों की सेवा के लिए ही समर्पित करते हुए वर्ष 2013 में इस संस्थान की आधारशिला रखी।
शुरुवात में इसकी सार्थकता शंका के घेरे में थी लेकिन धीरे - धीरे इसके बारे में लोगों की राय बदलीऔर विराट हॉस्पिस की प्रसिद्धि नेक उद्देश्य और पवित्र तरीके से चलने वाले ऐसे प्रकल्प में रूप में होने लगी जो बिना सरकारी सहायता लिए केवल सामाजिक सहयोग से संचालित होता है ।
इस संस्थान में पूरी तरह से निराश हो चुके मरीजों को घरेलू वातावरण में जिस तरह की सेवा-सुश्रुषा, सत्संग और स्वस्थ मनोरंजन दिया जाता है उसके कारण ज़िन्दगी के प्रति उनकी सोच में सकारात्मक बदलाव नजर आने लगा और वे मौत के डर से उबरकर सामान्य दिनचर्या का पालन करने लगे।
विगत छह वर्षों में 1040 से अधिक कैंसर मरीज इसकी सेवाएं प्राप्त कर चुके हैं।
इसकी कार्यप्रणाली का प्रत्यक्ष अवलोकन एवं अध्ययन करने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के प्रशिक्षु आधिकारियों का दल लगातार दो वर्ष भारत सरकार द्वारा भेजा जा चुका है।
विराट हॉस्पिस में Terminal Stage वाले कैंसर मरीजों को 24 घंटे नर्सिंग सेवा के साथ चिकित्सा, देखरेख और एक सहयोगी सहित आवास तथा भोजन का प्रबंध पूरी तरह निःशुल्क किया जाता है। इसकी वर्तमान क्षमता 28 बिस्तरों की है ।
इसे अत्याधुनिक रूप देकर भेड़ाघाट के निकट गोपालपुर ग्राम में जनसहयोग से तीन एकड़ भूमि पर नए भवन का निर्माण किया गया है जिसमें 48 मरीजों को रखने की व्यवस्था की जावेगी । साथ ही रेडियेशन की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जावेगी ।
पीड़ित मानवता की निःस्वार्थ सेवा के इस अनूठे प्रयास में आपका मानसिक लगाव एवं समर्पण धन सेकहीं अधिक मूल्यवान है क्योंकि इसके बिना की गयी सेवा भावशून्य होती है।
विराट हॉस्पिस दरअसल ईश्वरीय प्रेरणा से प्रारम्भ अनुष्ठान है जिसमें आपका सहयोग हमारा सम्बल बनेगा।
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